किले
का इतिहास यह किला अम्बेर के महान मुगल सेनापति,मान सिंह के बेटे माधो सिंह द्वारा
1613 में बनवाया गया था। राजा माधो सिंह अकबर की सेना के जनरल थे। ये किला जितना
शानदार है उतना ही विशाल भी है, वर्तमान में ये किला एक खंडहर में तब्दील हो गया
है। किले में प्राकृतिक झरने, जलप्रपात, उद्यान, हवेलियां और बरगद के पेड़ इस किले
की गरिमा को और भी अधिक बढ़ाते हैं। साथ ही भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और
केशव राय के मंदिर धर्म की दृष्टि से भी इसे महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।
किले के इतिहास को बयां करती एक खौफनाक कहानी
भानगढ़ के बारे में एक अन्य मिथक
भानगढ़ के सम्बन्ध में एक अन्य कहानी ये भी है कि यहाँ एक तपस्वी बाबा बालानाथ और राजा अजब सिंह के बीच किसी बात को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे बाद में राजा ने नहीं माना और बाबा ने उसे श्राप दे दिया की इस किले में कोई भी जीवित नहीं रहेगा और जो यहां आयगा वो मार जायगा। तब से लेकर आज तक ये किला यूं ही वीरान पड़ा है और आज भी इसमें भूत हैं। लोगों का मानना है कि यही कारण था कि किले को इसके निर्माण के तुरन्त बाद ही छोड़ दिया गया था, और शहर प्रेतवाधित होने की वजह से सुनसान हो गया।
किले के इतिहास को बयां करती एक खौफनाक कहानी
भानगढ़
की राजकुमारी रत्नावती जो बेहद खुबसुरत थी और उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में
थी वो एक तांत्रिक की मौत का कारण बनी क्योंकि तांत्रिक राजकुमारी से विवाह करना
चाहता था। राजकुमारी से विवाह न होने के कारण उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
मरने से पहले भानगढ़ को तांत्रिक से ये श्राप मिला कि इस किले में रहने वालें सभी
लोग जल्द ही मर जायेंगे और ताउम्र उनकी आत्माएं इस किले में भटकती रहेंगी। उस
तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच जंग हुई जिसमें किले
में रहने वाले सारे लोग मारे गये। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी उस श्राप से
नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। तब से लेकर आज तक इस किले में रूहों ने अपना
डेरा जमा रखा है।
भानगढ़ के बारे में एक अन्य मिथक
भानगढ़ के सम्बन्ध में एक अन्य कहानी ये भी है कि यहाँ एक तपस्वी बाबा बालानाथ और राजा अजब सिंह के बीच किसी बात को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे बाद में राजा ने नहीं माना और बाबा ने उसे श्राप दे दिया की इस किले में कोई भी जीवित नहीं रहेगा और जो यहां आयगा वो मार जायगा। तब से लेकर आज तक ये किला यूं ही वीरान पड़ा है और आज भी इसमें भूत हैं। लोगों का मानना है कि यही कारण था कि किले को इसके निर्माण के तुरन्त बाद ही छोड़ दिया गया था, और शहर प्रेतवाधित होने की वजह से सुनसान हो गया।
अब कौन करता है किले की हिफाज़त
फिलहाल
इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ
आर्कियोंलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं।
वास्तुशास्त्री के अनुसार
वास्तुशास्त्री ने देखा कि इस किले के अन्दर नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम कोण)
नीची और नमी वाली है। दीवारों पर से पपड़ियां उतरी हुई हैं। नैऋत्य कोण के दक्षिण
पश्चिम भाग बढ़े हुए हैं।
ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में भी वास्तु दोष है इन दोषों के कारण ही भानगढ के किले
में नकारात्मक उर्जा का प्रवाह हो रहा है। इससे भूत-प्रेत एवं भय की अनुभूति होती
है।



